Chanakya Niti About Gupt Dhan: इस गुप्त धन को बांटने से बढ़ता है तीन गुना धन, आचार्य चाणक्य जी ने बताया कि इस गुप्त धन के बारे में..

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दरअसल, जैसा कि आपको पता है कि आचार्य चाणक्य जी एक महान अर्थशास्त्री राजनीति कार विद्वान माने गए हैं जहां लोगों की तरक्की के साथ-साथ समाज के कल्याण के लिए भी उनकी नीतियां अपने जीवन में अपनाना बेहद जरूरी है. और उनकी नीतियों पर चलकर बहुत से लोगों ने अपने जीवन में कामयाबी पा ली है. आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर लोगों के पास धन है तो वह जीवन में बड़ी से बड़ी चुनौतियों को आसानी से पार कर सकते हैं. लेकिन उन्होंने एक ऐसे गुप्त धन के बारे में बताया जो हर किसी के पास होता है इसे जितना बंटा जाए उतना ही बढ़ता जाता है आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य जी के गुप्त धन के बारे में-


ज्ञान ही धन है:चाणक्य:-

आचार्य चाणक्य जी के अनुसार ज्ञान ही एक ऐसा गुप्त धन है जो बांटने से कभी खत्म नहीं होता और निरंतर बढ़ता ही बढ़ता जाता है. और इसके साथ विद्या ही एक मात्र ऐसी चीज है जो बुरे समय में भी फल प्रदान करती है और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्या सबसे बड़ा गुप्त धन है जो कभी खत्म नहीं होता इसे जितना चाहे बांट सकते हैं. और हम जितना इसको बाँटेंगे उससे 3 गुना बढ़ेगा. श्लोक के जरिए चाणक्य ने विद्या की तुलना कामधेनु गाय से की है जिस प्रकार कामधेनु गाय कभी भी फल देना बंद नहीं करती उसी तरह ज्ञान का आदान प्रदान करने से वह कभी खत्म नहीं होता विद्या बांटने से बढ़ती है ना कि खत्म होती है इसी तरह से हमें चाणक्य नीति के अनुसार ज्ञान को जितना हो सके उतना बांटना चाहिए.

आत्म ज्ञान को बांटना:-

आचार्य चाणक्य जी के अनुसार हमें आतम ज्ञान होने पर इसे सर्वे तक सीमित नहीं रखना चाहिए इसे जितना हो सके उतना बांटना चाहिए और लोगों में बांटने के साथ-साथ इससे समाज का कल्याण भी होता है शिक्षित होने से न सिर्फ उस व्यक्ति का भला होता है बल्कि कई पीढ़ियों के भविष्य का भी सुधार होता है इसी प्रकार चाणक्य नीति के अनुसार हमें ज्ञान जितना हो उतना बांट देना चाहिए ताकि हमारा ज्ञान और ज्यादा बढ़ चुके ज्ञान की तुलना चाणक्य ने मां से की है जो अपने बच्चे की हर कदम पर रक्षा करती है विद्या की बदौलत व्यक्ति हर मुश्किल को पार कर लेता है.

शिक्षा का प्रचार प्रसार करना:-

आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार हमें शिक्षा का प्रचार प्रसार करना चाहिए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी इस सांसारिक जीवन का ज्ञान प्राप्त हो सके और वह निरंतर अपने जीवन में आगे बढ़ सके इसी कारण चाणक्य जी ने अपने श्लोक में कहा है कि हमें जितना हो सके उतना ज्ञान को बांटना चाहिए और ज्ञान बांटने से हमारा ज्ञान उस से 3 गुना ज्यादा बढ़ता है.
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